अर्जुन की छाल का काढ़ा बवासीर में खून आने को रोकने के लिए प्रभावी है।
लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें, और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से ज़रूर मिलें।
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इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
इस ब्लॉग में हम बवासीर के कारण, लक्षण, घरेलू उपाय, आयुर्वेदिक चिकित्सा और जीवनशैली में बदलावों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे ताकि आप इस समस्या को बेहतर तरीके से समझ सकें और इसे दूर कर सकें।
आंतरिक पाइल्स : यह गुदा के ऊपर स्थित होते हैं और मलाशय की परत से ढके होते हैं। गांठ मलाशय के भीतर विकसित होती है और आमतौर पर बाहरी जांच करते समय दिखाई नहीं देती है।
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बादी बवासीर में पेट की read more समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।
पीड़ित व्यक्ति को मल त्यागने में ब्लीडिंग हो सकती है।
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छाछ को बवासीर में अमृत माना जाता है। इसमें काला नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर पिएं। यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज को दूर करता है।
वजन उठाना: भारी वजन उठाने से भी गुदा की नसों पर दबाव बढ़ सकता है।
फाइबर युक्त आहार जैसे फल (सेब, नाशपाती), सब्जियां (पालक, ब्रोकली), साबुत अनाज, दालें
त्रिफला चूर्ण बवासीर के इलाज में बेहद फायदेमंद है।